शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2011

सवाल

कल रात फिर उसी अनसुलझे सवाल ने मुझे सारी रात जगाये रखा, 
बरामदे में चारपाई पर लेटा, अन्तरिक्ष में शून्य को निहारते हुए
जाने कब रात के अंधेरे ने साथ छोड़ दिया कुछ पता ही नहीं 
सारी रात सिर्फ सोचता रहा तेरे बारे में, तेरी उन झील सी घहराई लिए आँखों के बारे में,
आज मेरे जेहन वो लम्हे ताजा है, ऐसा लगता है जैसे कल ही की बात है.......
आज भी याद है मुझे वो वक्त जब उसने रोते हुए कहा था नफ़रत करती है वो मुझसे.........
पर आज तक न समझ पाया मै, अगर वो मुझसे नफ़रत करती है तो फिर जाते वक्त इतना रोयीं क्यों ????????? 

6 टिप्‍पणियां:

  1. आज तक न समझ पाया मै, अगर वो मुझसे नफ़रत करती है तो फिर जाते वक्त इतना रोयीं क्यों ?????????

    behad khoobsoorat aur pyara ahsaas.....!!

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  2. मौलिक अभिव्यक्ति है आपकी.लिखते रहिये.

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  3. कितने सच्चे भाव से आपने लिखा है ,,,पढ़ते ही आँखों के सामने तस्वीर सी आ जाती है..

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  4. अन्धकार कुछ अधिक ही तीव्रता से प्रकट हो रहा है .....

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  5. पर आज तक न समझ पाया मै, अगर वो मुझसे नफ़रत करती है तो फिर जाते वक्त इतना रोयीं क्यों ?????????

    यही तो समझने का प्रयास करना चाहिए था ... मौलिक अभिव्यक्ति ..

    मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार

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  6. दिल के कोने में कही तो जगह होगी ..
    तभी तो वह रोई होगी..
    बहुत बढ़िया

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