मंगलवार, 9 अगस्त 2011

एक रात और.................

कल फिर नहीं सोया मई रात को ,
सिर्फ ये सोच कर की कही फिर तू न चली आये ख्वाबो में मेरे
सच कहता हु बहुत दर्द होता है 
बहुत सारी राते यु ही नहीं सोता हू,
क्यों कुछ न बोल पाया मै ???????
अधुरा रह गया मेरा ये सवाल ,
क्या कभी पा सकूँगा इसका जवाब या ख़त्म हो जाएगी ये जिन्दगी यू ही ??????????????????????

4 टिप्‍पणियां:

  1. aacha likhte ho..... zindagi to ek din khatm honi hi hai..... bus agar kuch baki rahana hai.... to vo ho tum .....aur intezar ..... baki kuch bhi nahin... kuch bhi nahin

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  2. इतना अच्छा लिखा है फ़िर भी इतना कम क्यों लिखा ......

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  3. क्या कहू बहुत दर्दभरी लाजवाब रचना है...

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  4. अभी बहुत ज़िन्दगी बाकी है...
    इतनी भी निराशा अच्छी नहीं...
    इन्जार कर ही लो थोडा सा.....

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