थक गई है आँखे तेरा इंतजार करते -करते,
अब तो ऐसा लगता है की कुछ भी नहीं बचा है
मै शायद एक बार फिर वही खड़ा हो गया जहाँ से कभी शुरू किया था अपनी मंजिल का सफ़र,
दिल तो करता है की ठहर जाउ ता उम्र उसी मोड़ पर जहाँ तुमने छोड़ा था मुझे,
पर नहीं दिमाग मुझे इसकी इजाजत नहीं देता
बस इसी कश्मकश में बीत जाती है रात
और फिर सुबह वही जिन्दगी वही जिम्मेदारिय
फिर शुरू ...........................................................