रविवार, 21 अप्रैल 2013

तेरी यादें ............

कभी जिनकी बांहों में शाम गुजरा करती थी ...
आज उनकी एक झलक तक नहीं नसीब हमे........
एक वक्त था जब वो साथ मरने की कश्मे खाया करते थे
एक वक्त आज भी है की संग जीने को भी तैयार नहीं ......
वो कहते है मुझे भूल जाओ ..
ये दुनिया हमे एक नहीं होने देगी ...
पर मै कहता हु तुम एक बार हा तो कह दो ..
हम तो तेरे लिए एक  दूसरी दुनिया ही बसा देंगे  ....
महसूस करो मेरे दर्द को .........तो एहसास होगा तुम्हे
किस तकलीफ भरे लम्हों से गुजर रहा हूँ  मै ..