मत जाओ इतनी दूर हमसे,
की आदत हो जाये तेरे बिना जीने की
फिर न कहना की तुम कितने बदल गए हो
लौट आओ मेरे लिए,
अपने लिए,
हमारे लिए,
देर ना हो जाये.............................
की आदत हो जाये तेरे बिना जीने की
फिर न कहना की तुम कितने बदल गए हो
लौट आओ मेरे लिए,
अपने लिए,
हमारे लिए,
देर ना हो जाये.............................
हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में इस नये ब्लॉग का और आपका मैं संजय भास्कर हार्दिक स्वागत करता हूँ.
जवाब देंहटाएंकृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
जवाब देंहटाएंवर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया .
कोमल भावों से सजी ..
जवाब देंहटाएं..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
संजय सर आपकी टिप्पड़ी के लिए धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंआपके कहे अनुसार हमने वर्ड वेरिफिकेशन हटा दिया है|
उम्मीद है आगे भी इस ब्लॉग पर आप तशरीफ़ लायेगें,
और ऐसे ही मेरा मार्गदर्शन करते रहेगें|
भावों को खूबसूरती से कहा है ...
जवाब देंहटाएंदेर न हो जाए,कहीं देर न हो जाए......
जवाब देंहटाएंjust excellent !!
@ पूनम जी, संगीता मैम आप सभी को धन्यवाद उम्मीद करता हूँ आप लोग आगे भी इसी तरह मेरा हौसला बढ़ाते रहेंगे ...........
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